Mantra For Success : कार्य सिद्धि के लिए करें इन मन्त्रों का जप

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हमारे शास्त्रों में प्रत्येक कार्य की सिद्धि के लिए मंत्रों का प्रयोग किया जाता है । आज हम उन्हें में से कुछ मंत्रों का प्रयोग करेंगे जिससे कि आपका रुके हुए कार्य संपन्न होंगे अर्थात प्रत्येक कार्य में आपको सफलता प्राप्त होगी । सर्वप्रथम हम इन मंत्रों को कब और कैसे प्रयोग करना है यह जानने के लिए हमें मां दुर्गा का विधि विधान से ध्यान एवं आराधना करनी होगी । 

आराधना विधि :- सर्वप्रथम आप  शौचादि से निवृत होकर माता के मंदिर में जाकर अथवा घर के पूजा स्थल में जाकर चौकी पर माता का सिंहासन स्थापित करें ध्यान रखें की सिंहासन लाल वस्त्र का हो स्वच्छ और पवित्र हो फिर माता की ज्योत प्रज्वलित कर नीचे बताये गये मंत्रों का 11 बार उच्चारण करें। ऐसा आप लगातार 41 दिन तक करें तो अवश्य ही माता की कृपा आप पर बरसेगी । दोस्तों एक बात और आप  अपने पास पानी का एक लोटा अवश्य रखें और एक-एक चावल  का दाना एक-एक मंत्र के उच्चारण के साथ पानी के लोटे में डालें मंत्र जाप के पश्चात मां भगवती की आरती करें और वह जल सूर्य देव को अर्पित करें इससे भगवान सूर्य आपके जप के साक्षी देवता कहलाएंगे और शीघ्र अतिशीघ्र आपकी मनोकामना पूर्ण होगी । 


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अथ ध्यानम् :-

*देवी प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोsखिलस्य। प्रसीद विश्वेतरि पाहि विश्वं त्वमीश्चरी देवी चराचरस्य।। 

अर्थात् :- हे माता जगज्जननि आप की शरण का आश्रय लिए भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी पीड़ा का निवारण करो, हे सारे संसार की माता हमारे पर प्रसन्न हो, हे विश्वेश्वरि विश्व की रक्षा करो। तुम ही चराचर विश्व की आराध्य देवी हो।

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*ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनीदुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।

अर्थात् :- इस श्लोक में माता के नामों स्मरण करते हुए उच्चारण करें जयन्ती,मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा,क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा,स्वधा आप को नमस्कार है आप हमारा पोषण करें।

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* दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:। स्वस्थै स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।।  द्रारिद्र दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या। सर्वोपकारकारणाय सदाह्यद्र्रचिता।।

अर्थात् :- मां दुर्गे! आप स्मरन करने से सब प्राणियों के भय को हर लेती हैं और स्वस्थ पुरुषों द्वारा चिंतन करने पर उन्हें परम कल्याण में बुद्धि प्रदान करती हैं। दु:ख ,दरिद्रता का नाश करने वाली देवि! आप के सिवा दूसरी कौन है। जिसका चित्त सब का उपकार करने के लिए सदा ही दयार्द्र रहता है।

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* ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः। शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सा न किं जनै॥ 

अर्थात् :- जिस भगवती के प्रसाद से ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, सम्पत्ति, शत्रु नाश तथा परम मोक्ष सिद्धि प्राप्त होती है भला मनुष्य कल्याणमयी माता की स्तुति क्यों नहीं करते !


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सावधानियां :- दोस्तों इसके लिए आपने कुछ सावधानियां रखनी होंगी - जैसा की पवित्रता का पालन करना, सात्विक भोजन का सेवन करना, कटु वचन का प्रयोग न करना अर्थात वाणी को शुद्ध रखना, दूसरे के मन को कष्ट ना देना, प्रसन्नचित रहना आदि का पालन करें / दोस्तों यदि फिर भी कोई कमी रहती है तो माता से प्रार्थना करें नीचे बताइए मंत्र का एक बार उच्चारण अवश्य करें ‌ । 

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* मत्सम: पातकी नास्ति पापघ्नी त्वत्समा न हि। 

  एवं ज्ञात्वा महादेवि यथायोग्यं तथा कुरु।।

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***** धन्यवाद  - नमश्कार  *******

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