1 April Pooja कारोबार के खातों की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

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दोस्तों प्रत्येक व्यापारी अपने पुराने खाते को Close  करके नया खाता की शुरुआत करता है । 31 मार्च को वर्ष पूरा होने के बाद 1 अप्रैल को नए वर्ष का प्रारंभ करता है। इसमें वह अपनी दुकान के लिए नई बही प्रारंभ करता है । अगर हम ज्योतिष शास्त्र का अनुसरण करें , तो प्रत्येक कार्य करने के लिए एक विशेष शुभ मुहूर्त होता है । आज हम विचार करेंगे कि अगर हमने अपने बही खाता सुचारू रूप से चलाना है तो उसमें हमें किन-किन नियमों का पालन करना होगा कब हम वही खाते का पूजन करें कि हमारी आमदनी में वृद्धि हो । क्योंकि शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य हमेशा उन्नति को देने वाला होता है इसलिए 1 अप्रैल को यह शुभ मुहूर्त किस समय ग्रहण किया जाएगा इसका उल्लेख हम इस लेख में करेंगे ।

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शुभ मुहूर्त:- दोस्तों जैसा शास्त्रों में बताया गया है कि स्थिरे लक्ष्मी: अर्थात लक्ष्मी की पूजा स्थिर लग्न में की जाती है । परंतु बही खाते के लिए कई विद्वान चर लग्न को श्रेष्ठ मानते हैं । क्योंकि बही खाते में लिखने का कार्य ज्यादा होता है इसलिए वह कार्य चर श्रेणी में आता है । परंतु अगर हम विचार करें तो चर लग्न में लिखा गया पैसा चलता ही रहता है वापस आने की संभावना कम ही होती है । इसीलिए बही खाते का सही मुहूर्त द्विस्वभाव लग्न को श्रेष्ठ स्वीकार किया गया है । 1 अप्रैल को सूर्योदय के समय वृष्टि करण होने से 9:20 तक भद्रा रहेगी । जिसमें बही खाता प्रारंभ नहीं किया जाता । तो मिथुन लग्न 10:17 से लेकर 12:31 रहेगा और कन्या लग्न 17:14 से 19:37 तक रहेगा । दोनों ही लग्न द्विस्वभाव होने के कारण बही-खाता के मुहूर्त में स्वीकार किए जाएंगे और इस में भी चौघड़िया मुहूर्त शुभ 10:17 - 10:59 तक एवं अमृत 17:13 - 18:46 तक ज्यादा शुभ कहा गया है इसीलिए वही खाते को इसी मुहूर्त में करना चाहिए क्योंकि इसमें चर, स्थिर, शुभ और अमृत गुण भी है । इसी कारण माता लक्ष्मी की आराधना भी हो जाएगी और साथ में उधारी जल्दी वापस आएगी ।

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कैसे करें पूजन:- शुभ मुहूर्त में पंडित जी को बुलाकर नवग्रह पूजन करें उसके के बाद अपनी बही के पहले या चौथा पेज पर रोली (कुंकुम)या हल्दी से स्वास्तिक बनाएं । गणेश जी का ध्यान करते  हुए पूजन सामग्री ( पान का पत्ता, रोली, मोली,चावल, मिठ्ठा, लौंग, इलायची, सुपारी आदि )समर्पित करें । फिर गणेश जी प्रार्थना करें । माता सरस्वती का पूजन करें , कुबेर जी की आराधना, लेखनी,दवात, स्याही में महाकाली की पूजा करें। फिर पुष्पांजलि देकर दो घड़ी के लिए वही को खुला रखें । ऐसा करने से मां काली मां लक्ष्मी एवं माता सरस्वती की कृपा आप पर बरसेगी कुबेर जी का वास आपकी दुकान पर हमेशा बना रहेगा । फिर पुष्पांजलि देकर प्रसाद वितरण करें।


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सावधानियां:- स्वास्तिक बनाते समय दूसरे और पांचवी पेज का प्रयोग ना करें क्योंकि इन पर यम का वास होता है । अगर हम इन पेजों का प्रयोग करते हैं तो लिखी गई कलम पर अक्सर विवाद होते हैं । पान का पत्ता दांडी तोड़कर अर्पित करें  । वही पर कभी भी जल का छिंटा ना दे । पूजा के समय आपका मुख पूर्व की तरफ हो दक्षिण की तरफ मुख करके पूजा ना करें । सिर वस्त्र से ना ढकें। (शिर: प्रवृत्य वस्त्रेण ध्यानं नैव प्रशस्यते)  जल्दबाजी में पूजा ना करें श्रद्धा एवं विश्वास से की गई पूजा सफल होती है।

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सारांश:- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य सफल होता है इसलिए यह पूजा किसी योग्य ब्राह्मण को बुलाकर करवानी चाहिए अगर किसी कारण ब्राह्मण ना मिले या स्वयं ही पूजा करनी पड़े तो नियमों का पालन करते हुए सही समय पर पूजन करें तथा अर्पित की गई सामग्री, दक्षिणा फल आदि किसी मंदिर में देकर आए। यह जानकारी वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बतलाई की है  विशेष जानकारी के लिए आप हमारे कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं ।

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