chandra grahan march 2024 : होली के दिन चन्द्र ग्रहण

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दोस्तों प्रकृति का नियम है कि जब सूर्य और चंद्र के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो पृथ्वी पर चंद्रग्रहण घटित होता है ‌। ज्योतिष के अनुसार जब चंद्रमा के साथ राहु या केतु पूर्णिमा के दिन रहते हैं तब चंद्रग्रहण देखने को मिलता है । विज्ञान की माने तो यह प्रक्रिया साल में दो बार घटित होती है । जब सूर्य की रोशनी को पृथ्वी रोक लेती है तो हमें चंद्रमा के ऊपर अंधकार दिखाई देता है इसी प्रक्रिया को ग्रहण के अंतर्गत लिया गया है। कई बार सूर्य बिम्ब से चंद्रमा की दूरी ज्यादा होने के कारण छाया बहुत छोटी रह जाती है और चंद्रमा उपच्छाया से होकर गुजरता है तो इसे उप छाया ग्रहण कहते हैं । क्योंकि कई बार तो चंद्रमा 5 डिग्री ऊपर कई बार 5 डिग्री नीचे परिक्रमा करता है इसलिए वह उपछाया से होकर गुजरता है ‌। इस वर्ष 2024 में 25 मार्च को चंद्रमा ऐसी ही स्थिति से गुजरने वाला है इसीलिए उपछाया चंद्र ग्रहण घटित होगा । यद्यपि उपछाया ग्रहण का ज्योतिष के अनुसार कोई विशेष फल नहीं होता फिर भी लोगों की भ्रांति को देखते हुए इस लेख को प्रस्तुत कर रहा हूं । 


कब प्रारंभ होगा छाया ग्रहण :- दोस्तों अगर हम विज्ञान के अनुसार विचार करें तो 25 मार्च 2024 को उपछाया ग्रहण प्रातः 10: 23 से लेकर दोपहर 3:02 तक घटित होगा । इस समय चंद्रमा सूर्य की उपछाया से गुजरेगा । इसका प्रकाश कुछ मध्यम दिखाई देगा । यह प्रक्रिया 4 घंटे 39 मिनट रहेगी तब चंद्रमा का प्रकाश धुंधला दिखाई देगा । छाया ग्रहण का चराचर प्राणी पर कोई विशेष प्रभाव नहीं आने वाला इसलिए किसी कार्य में कोई बांधा का उल्लेख नहीं किया जाएगा । ज्योतिष के अनुसार यह घटना प्रभावित नहीं करेगी इसलिए पंचांगों में इसका उल्लेख भी नहीं किया गया। यह घटना उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में घटित होगी जोअमेरिका जापान रूस आयरलैंड इंग्लैंड स्पेन पुर्तगाल इटली जर्मनी फ्रांस हॉलैंड आदि में दिखाई देगी । भारत पर इसका प्रभाव लेस मात्र भी नहीं होगा । उप छाया ग्रहण होने के कारण यह किसी भी राशि पर अपना बुरा प्रभाव नहीं डालेगा । इसकी गणना ग्रहण के अंतर्गत स्वीकार नहीं होती। अगर पूर्ण चंद्र ग्रहण होता तो नाना प्रकार के गुण दोष प्रकट होते हैं । प्रभावहीन के कारण शास्त्रों में इसका उल्ले ख नही मिलता है ।


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सूतक काल:- दोस्तों जब भी सूर्य अथवा चंद्र ग्रहण लगता है तो उसका सूतक काल ग्रहण किया जाता है अगर सूर्य ग्रहण हो तो चार पहर पहले अर्थात सूर्य ग्रहण प्रारंभ होने से 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण से तीन पहर अर्थात 9 घंटे पहले सूतक काल कहा जाता है जिसमें व्यक्ति भगवान के नाम का स्मरण करता है ज्यादा घूमना फिरना नहीं और ना ही कुछ खान-पान करना होता है तथा जो सामग्री आप ने तैयार कर रखी है उसको भी कुशादि डालकर रखा जाता है। परंतु 25 मार्च को लगने वाले छाया चंद्र ग्रहण में ना तो कोई सूतक है और ना ही किसी नियम की पालना करनी है क्योंकि इस ग्रहण का प्रभाव किसी विशेष राशि पर आने वाला नहीं है यद्यपि यह ग्रहण कन्या राशि में घटित हो रहा है । फिर भी इसका प्रभाव कन्या राशि पर नहीं आने वाला है। इसके लिए न तो कोई नियम पालन करना है और ना ही किसी प्रकार का निषेध कहा गया है । उपछाया ग्रहण में चंद्रमा कुछ धुंधला दिखाई देगा जैसा की कई बार चंद्रमा पर हल्के बादल दिखाई देते हो ऐसा प्रतीत होगा  लेकिन चंद्र ग्रहण न होने के कारण इसका कुप्रभाव नहीं रहेगा । 


सारांश:- दोस्तों सारांश में हम कह सकते हैं की जो लोगों के मन में चंद्र ग्रहण को लेकर भ्रांतियां उत्पन्न हो रही हैं वह अब शांत हो जाएगी क्योंकि 25 मार्च को जो ग्रहण घटित हो रहा है वह ग्रहण न हो कर के उपछाया ग्रहण कहा जाएगा । जिसके लिए किसी प्रकार का कोई नियम पालन नहीं किया जाता अक्सर हम प्रत्येक पूर्णिमा के दिन जैसा कार्य करते हैं वैसा कार्य हम इस ग्रहण काल में भी कर सकते हैं । यह लेख मार्गदर्शन करने के लिए लिखा गया है किसी को भ्रमित करने के लिए नहीं है  अधिक जानकारी के लिए आप केंद्र से संपर्क कर सकते हैं । 


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